भारत के डॉक्टरों ने भी कहा- कोविड- 19 के इलाज में मलेरिया की दवा प्रभावी नहीं

भारत के डॉक्टरों ने भी कहा- कोविड- 19 के इलाज में मलेरिया की दवा प्रभावी नहीं

सेहतराग टीम

मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) को भारतीय डॉक्टरों ने भी कोविड- 19 के उपचार में प्रभावी न होने का खुलासा किया है। देश में पहली बार स्वास्थ्य कर्मचारियों पर कोविड- 19 के असर को लेकर यह अध्ययन हुआ। जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के जुलाई के अंक में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार दवा लेने वालों में ज्यादा संक्रमित होने की दर पाई गई।

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23 मार्च को आईसीएमआर ने एचसीक्यू दवा को रोगनिरोधक माना था। स्वास्थ्य कर्मचारियों, पुलिस जवान इत्यादि को वायरस से बचाव के लिए यह दवा दी जा रही है। जबकि 23 मार्च से 30 अप्रैल के बीच स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हुए अध्ययन में पता चला कि एचसीक्यू ने संक्रमण रोकने में कोई भूमिका नहीं निभाई। अध्ययन ऐसे वक्त में आया है जब यूके सहित कई देश के वैज्ञानिक एचसीक्यू पर अध्ययन शुरू करने जा रहे हैं।

इन सात अस्पतालों में अध्ययन

दिल्ली और एनसीआर के पांच मैक्स अस्पताल, मुंबई के बीएलके और नानावती अस्पताल के 18 हजार स्वास्थ्य कर्मचारियों पर अध्ययन किया गया। इसमें से 4403 ने सवालों के जवाब दिए। इनमें 52.1 पुरुष और 47.9 फीसदी महिलाएं थीं, जिनकी औसत आयु 18-40 वर्ष के बीच है। 1036 स्वास्थ्य कर्मचारियों की कुछ जानकारियां गलत या आधी अधूरी मिलने की वजह से उन्हें बाहर कर दिया गया।

दवा लेने व न लेने वालों में समान मिले पॉजिटिव

3667 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर अध्ययन शुरू हुआ जिनमें 539 लक्षण और 3128 बिना लक्षणों के साथ थे। 539 में से 216 और 3128 में से 1137 की जांच में 10-10 कर्मचारी संक्रमित मिले हैं। परीक्षण में शामिल एचसीक्यू दवा का उपयोग करने वाले 755 में से 14 संक्रमित मिले। जबकि दवा न लेने वाले छह संक्रमित मिले हैं।

रोगनिरोधक के रूप में एचसीक्यू कारगर नहीं

दिल्ली मैक्स अस्पताल के इंस्टिट्यूट ऑफ एंड्रोक्रायनोलॉजी, डायबिटीज व मैटाबोलिज्म के डॉ. सुजीत झा, इंटरनल मेडिसिन के डॉ. संदीप बुद्धिराजा, हेमोटोलॉजी एंड बौन मैरो ट्रांसप्लांट के डॉ. राहुल नैथानी की निगरानी में यह अध्ययन हुआ। इनके अनुसार एक रोगनिरोधक के रूप में एचसीक्यू कारगर नहीं है।

सरकार के अध्ययन

बिना लक्षण वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमित होने और दवा की निश्चित खुराक लेने के बीच प्रतिक्रिया संबंध पाया। जिसके आधार पर इसे सुरक्षित पाया गया।

दिल्ली एम्स में 248 स्वास्थ्य कर्मचारियों को दवा दी गई। औसतन 6 सप्ताह तक निगरानी रखी गई। जिसके बाद एचसीक्यू रोगनिरोधक बताई गई।

तेलंगाना सरकार ने गांधी मेडिकल कॉलेज में 694 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर अध्ययन के परिणाम जारी किए, इनमें से 394 एक मरीज के संपर्क में आए लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं दिखे। यह सभी एचसीक्यू का सेवन कर रहे थे।

(साभार)

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